Goddess Radha Arti

 


आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजु मूर्ति मोहन ममता की।।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरती सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी, अति अमूल्य सम्पति समता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

कृष्णात्मिका, कृषण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुखनिवारिणि, आदि अनादिशक्ति विभुता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

Rama Aarti In Hindi

 श्रीरामचंद्र कृपालु भजु

मन हरण भवभय दारुणं,
नवकंज लोचन, कंजमुख कर,
कंज पद कंजारुणं.

कंदर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरज सुन्दरम,
पट पीत मानहु तडित रूचि
शुची नौमी, जनक सुतावरं.

भजु दीनबंधु दिनेश
दानव दैत्य वंष निकन्दनं,
रघुनंद आनंद कंद
कोशल चन्द्र दशरथ नंदनम.

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू
उदारु अंग विभुशनम,
आजानुभुज शर चाप-धर,
संग्राम-जित-खर दूषणं.

इति वदति तुलसीदास,
शंकर शेष मुनि-मन-रंजनं,
मम ह्रदय कंज निवास कुरु,
कामादि खल-दल-गंजनं.

एही भांति गोरी असीस
सुनी सिय सहित हिं हरषीं अली,
तुलसी भावानिः पूजी
पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली.

जानी गौरी अनूकोल,
सिया हिय हिं हरषीं अली,
मंजुल मंगल मूल बाम
अंग फरकन लगे.

Hanuman aarti

 


आरती कीजै हनुमानलला की,

दुष्टदलन रघुनाथ कला की।


 


जाके बल से गिरिवर कांपे,

रोग दोष जाके निकट न झांपै।


अंजनिपुत्र महा बलदायी,

संतन के प्रभु सदा सहाई।


दे बीरा रघुनाथ पठाये,

लंका जारि सिया सुधि लाये।


लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई,

जात पवनसुत बार न लाई।


लंका जारि असुर संहारे,

सियारामजी के काज संवारे।


लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे,

आनि संजीवन प्रान उबारे।


पैठि पताल तोरि जम-कारे,


 

अहिरावन की भुजा उखारे।


बाएं भुजा असुरदल मारे,

दहिने भुजा सन्तजन तारे।


सुर नर मुनि आरती उतारे,

जय जय जय हनुमान उचारे।


कंचन थार कपूर लौ छाई,

आरति करत अंजना माई।


जो हनुमानजी की आरति गावै,

बसि बैकुण्ठ परम पद पावै।

Maa Durga Aarti

 जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत

मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥